बुधबार २४ आश्विन, २०८०
नेपाल में सांप्रदायिकता की आग चौंकाने वाली है। भारत नेपाल सीमा के नेपाली इलाकों में सांप्रदायिकता की आंच काठमांडू तक पंहुच गई है। प्रधानमंत्री प्रचंड ने इसे गंभीरता से लिया है और सुरक्षा एजेंसियों की बैठक में इस पर हर हाल काबू पाने का निर्देश दिया है।नेपाल में तेजी से पांव पसार रहे उन्मादी तत्वों की वजह से यहां अशांति का माहौल है और भारत सीमा से सटे नेपाली इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ रहा है। अपेक्षाकृत हिमालय जैसे शांत स्वभाव वाले इस नन्हे राष्ट्र का सांप्रदायिकता की चपेट में आना शुभ संकेत नहीं है।
नेपाल एक ऐसा हिंदू राष्ट्र था जहां कभी सांप्रदायिक घटना नहीं सुनी गई। लेकिन पिछले कुछ महीनों में यहां कभी बीफ को लेकर तो कभी किसी धर्म विशेष के खिलाफ टिप्पणी को लेकर सांप्रदायिक घटनाएं चिंतित करने वाली है। यहां खान पान को लेकर कभी हिंदू मुसलमानों में तनाव नहीं हुआ। बताने की जरूरत नहीं कि यहां के होटलों में सभी प्रकार के मीट बनते हैं जिसमें बीफ भी होता है और चिकन मटन भी होता है। होटल मालिक भी ज्यादा तर हिंदू ही होते हैं। इन होटलों में जिसके मर्जी में जो आए वो खाए,किसी को कोई एतराज़ नहीं रहता है। अब अचानक ऐसा क्या हो गया कि आए दिन बीफ को लेकर भी बवाल होने लगा और धार्मिक टिप्पणियों को लेकर उन्माद भी भड़कने लग गया।
नेपाल में अभी जो सांप्रदायिक उन्माद की घटना हुई वह भारत सीमा से सटे नेपाल के बांके जिले की है। नेपाल में घटित इस घटना से नेपाल सीमा के भारतीय इलाकों में भी खासा तनाव का माहौल उत्पन्न हो गया। यूपी के बहराइच जिले से सटे नेपाल के बांके जिले के लोग पिछले एक सप्ताह से कर्फ्यू के साए में रहने को मजबूर हैं। स्कूल, बाजार हाट, आवागमन के साधन सब बंद है। घटना की वजह कुछ रोज पहले एक युवक द्वारा मुस्लिम धर्म के खिलाफ की गई टिप्पणी है। यह युवक हिंदू संगठन के लिए काम करता है।उस युवक के इस हरकत से मुस्लिम समाज का ग़ुस्सा होना स्वाभाविक था और वे उस युवक के खिलाफ कार्रवाई चाहते थे। बांके का जिला प्रशासन यदि सूझ बूझ से काम लिया होता तो सांप्रदायिक उन्माद जैसी घटना को रोका जा सकता था। इधर मुस्लिम समाज जब सड़क पर उतरा तो हिंदू समुदाय भी सड़क पर आ गया। बांके में ओंकार समाज के नाम से हिंदू संगठन बहुत मजबूत है। दोनों समुदायों के सड़क पर उतरने के दौरान देखा गया कि प्रदर्शन कारियों में भारतीय नंबर प्लेट के दुपहिया वाहनों की भरमार थी। यह दोनों ओर की सुरक्षा एजेंसियों की चूक थी।
भारत और नेपाल के बीच की जो भौगोलिक, सामाजिक और राजनीतिक परिस्थित है उसके हिसाब से दोनों देशों के बीच किसी भी घटना का असर एक दूसरे पर पड़ना स्वाभाविक है। इस वक्त भारत में बह रही हिंदुत्व की बयार नेपाल तक पंहुच चुकी है। पूर्व में नेपाल सीमा पर स्थित भारत के इलाकों में हुए बड़े से बड़े सांप्रदायिक तनाव की आंच नेपाल तक नहीं पहुंची थी। अयोध्या आंदोलन के समय भी नेपाल में शांति रही। नेपाल में हिंदू मुसलमान के बीच का सौहार्द एक मिशाल के तौर पर देखी जाती है। कर्फ्यू और बंदी से नेपाल आर्थिक रूप से कमजोर हो रहा है।
बांके जिले के अलावा पूर्वी नेपाल के धरान में भी एक उन्मादी वीडियो के वायरल होने से तनाव भड़क उठा था। वीडियो में लोगों को बीफ खाते हुए दिखाया गया था। पूर्वी नेपाल के कई हिस्सों में गौ रक्षा के लिए रैली निकाली गई। इस दौरान जमकर हिंसा और पत्थरबाजी हुई। पूर्वी नेपाल के मलंगवा और सरलाही इलाकों में हालात को काबू करने के लिए काफी लंबे समय तक कर्फ्यू लगाना पड़ा था। मलंगवा इलाके में भगवान गणेश की प्रतिमा के विसर्जन के दौरान हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हिंसा भड़क उठी थी। नेपाल में आए दिन सांप्रदायिक घटनाओं के लिए विपक्षी दल प्रचंड सरकार पर आरोप लगा रहे हैं। वे कहते हैं कि प्रचंड नेपाल को हिंदू राष्ट्र की ओर ले जा रहे हैं। ऐसी घटनाओं के जरिए नेपाल में हिंदू राष्ट्र के समर्थकों को मजबूत किया जा रहा है ताकि हिंदू राष्ट्र की मांग की धार और तेज हो।
नेपाल एक ऐसा हिंदू राष्ट्र था जहां कभी सांप्रदायिक घटना नहीं सुनी गई। लेकिन पिछले कुछ महीनों में यहां कभी बीफ को लेकर तो कभी किसी धर्म विशेष के खिलाफ टिप्पणी को लेकर सांप्रदायिक घटनाएं चिंतित करने वाली है। यहां खान पान को लेकर कभी हिंदू मुसलमानों में तनाव नहीं हुआ। बताने की जरूरत नहीं कि यहां के होटलों में सभी प्रकार के मीट बनते हैं जिसमें बीफ भी होता है और चिकन मटन भी होता है। होटल मालिक भी ज्यादा तर हिंदू ही होते हैं। इन होटलों में जिसके मर्जी में जो आए वो खाए,किसी को कोई एतराज़ नहीं रहता है। अब अचानक ऐसा क्या हो गया कि आए दिन बीफ को लेकर भी बवाल होने लगा और धार्मिक टिप्पणियों को लेकर उन्माद भी भड़कने लग गया।
नेपाल में अभी जो सांप्रदायिक उन्माद की घटना हुई वह भारत सीमा से सटे नेपाल के बांके जिले की है। नेपाल में घटित इस घटना से नेपाल सीमा के भारतीय इलाकों में भी खासा तनाव का माहौल उत्पन्न हो गया। यूपी के बहराइच जिले से सटे नेपाल के बांके जिले के लोग पिछले एक सप्ताह से कर्फ्यू के साए में रहने को मजबूर हैं। स्कूल, बाजार हाट, आवागमन के साधन सब बंद है। घटना की वजह कुछ रोज पहले एक युवक द्वारा मुस्लिम धर्म के खिलाफ की गई टिप्पणी है। यह युवक हिंदू संगठन के लिए काम करता है।उस युवक के इस हरकत से मुस्लिम समाज का ग़ुस्सा होना स्वाभाविक था और वे उस युवक के खिलाफ कार्रवाई चाहते थे। बांके का जिला प्रशासन यदि सूझ बूझ से काम लिया होता तो सांप्रदायिक उन्माद जैसी घटना को रोका जा सकता था। इधर मुस्लिम समाज जब सड़क पर उतरा तो हिंदू समुदाय भी सड़क पर आ गया। बांके में ओंकार समाज के नाम से हिंदू संगठन बहुत मजबूत है। दोनों समुदायों के सड़क पर उतरने के दौरान देखा गया कि प्रदर्शन कारियों में भारतीय नंबर प्लेट के दुपहिया वाहनों की भरमार थी। यह दोनों ओर की सुरक्षा एजेंसियों की चूक थी।
भारत और नेपाल के बीच की जो भौगोलिक, सामाजिक और राजनीतिक परिस्थित है उसके हिसाब से दोनों देशों के बीच किसी भी घटना का असर एक दूसरे पर पड़ना स्वाभाविक है। इस वक्त भारत में बह रही हिंदुत्व की बयार नेपाल तक पंहुच चुकी है। पूर्व में नेपाल सीमा पर स्थित भारत के इलाकों में हुए बड़े से बड़े सांप्रदायिक तनाव की आंच नेपाल तक नहीं पहुंची थी। अयोध्या आंदोलन के समय भी नेपाल में शांति रही। नेपाल में हिंदू मुसलमान के बीच का सौहार्द एक मिशाल के तौर पर देखी जाती है। कर्फ्यू और बंदी से नेपाल आर्थिक रूप से कमजोर हो रहा है।
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